भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

रविवार, 11 अप्रैल 2010

दूध, दालों के बढ़ते दाम से खाद्य वस्तुओं की महंगाई १७.70% पर


दूध, दालों के बढ़ते दाम से खाद्य वस्तुओं की महंगाई १७.70% पर

नई दिल्ली: दूध, फलों एवं दालों की बढ़ती कीमतों से 27 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 17.70 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे
रिजर्व बैंक द्वारा वार्षिक मौद्रिक नीति में दरें बढ़ाए जाने की आशंका बढ़ गई हैं। इससे पूर्व सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 16.35 प्रतिशत पर थी। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी और खाद्य वस्तुओं की महंगाई का दायरा बढ़कर विनिर्मित उत्पादों तक पहुंचाने की आशंका से मार्च में कुल मुद्रास्फीति दोहरे अंक को पार कर जाने की संभावना है। फरवरी में कुल मुद्रास्फीति 9.89 प्रतिशत के स्तर पर थी जिसमें खाद्य एवं गैर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव शामिल है। वार्षिक आधार पर, दालों के दाम 32.60 प्रतिशत, दूध के 21.12 प्रतिशत, फल के 14.95 प्रतिशत और गेहूं के दाम 13.34 प्रतिशत बढ़े। वहीं, साप्ताहिक आधार पर खाद्य वस्तुओं का सूचकांक 0.9 प्रतिशत बढ़ गया क्योंकि इस दौरान समुद्री मछली, दूध, फलों और सब्जियों एवं मसूर की दाल महंगी हुई। बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के उपायों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं प्रतिनिधियों के साथ ही कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों की आज एक बैठक कर रहे हैं।

साभार : http://hindi.economictimes.indiatimes.कॉम

»»  read more

काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में', उतरा है रामराज विधायक निवास में

काजू भुने प्लेट में विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में

(अदम गोंडवी )

»»  read more

आज मुझको मौत से भी डर नहीं लगता



राह कहती,देख तेरे पांव में कांटा न चुभ जाए
कहीं ठोकर न लग जाए;
चाह कहती, हाय अंतर की कली सुकुमार
बिन विकसे न कुम्हलाए;
मोह कहता, देख ये घरबार संगी और साथी
प्रियजनों का प्यार सब पीछे न छुट जाए!
किन्तु फिर कर्तव्य कहता ज़ोर से झकझोर
तन को और मन को,
चल, बढ़ा चल,
मोह कुछ, औश् ज़िन्दगी का प्यार है कुछ और!
इन रुपहली साजिशों में कर्मठों का मन नहीं ठगता!
आज मुझको मौत से भी डर नहीं लगता!
आह, कितने लोग मुर्दा चांदनी के
अधखुले दृग देख लुट जाते;
रात आंखों में गुज़रती,
और ये गुमराह प्रेमी वीर
ढलती रात के पहले न सो पाते!
जागता जब तरुण अरुण प्रभात
ये मुर्दे न उठ पाते!
शुभ्र दिन की धूप में चालाक शोषक गिद्ध
तन-मन नोच खा जाते!
समय कहता--
और ही कुछ और ये संसार होता
जागरण के गीत के संग लोक यदि जगता!
आज मुझको मौत से भी डर नहीं लगता!
(शंकर शैलेन्द्र)
»»  read more
Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य