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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

वामपंथी दलों के नेताओं द्वारा पत्रकार वार्ता में लखनऊ में जारी प्रेस नोट

    लखनऊ 14 अक्टूबर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक तथा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के राज्य नेतृत्व ने आज पत्रकार वार्ता में निम्न प्रेस नोट जारी किया:
”कमरतोड़ मंहगाई, भ्रष्टाचार, उपजाऊ जमीनों के अधिग्रहण, शिक्षा के बाजारीकरण, बेरोजगारी एवं जर्जर हो चुकी कानून-व्यवस्था के खिलाफ तथा मजबूत लोकपाल कानून बनवाने के लिए वामपंथी दलों ने उत्तर प्रदेश में एक व्यापक और लगातार जनान्दोलन की रूपरेखा बनाई है। इसके तहत 18 अक्टूबर को प्रातः 10.00 बजे चारों वाम दलों द्वारा एक दिवसीय सामूहिक अनशन लखनऊ के झूले लाल पार्क में किया जायेगा। आन्दोलन के अगले चरण की घोषणा अनशन स्थल से की जायेगी।
उपर्युक्त घोषणा करते हुए चारों वाम दलों के नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रहीं आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों के चलते महंगाई ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। आटा, दाल, चीनी, रसोई गैस, सब्जी, मसाले, फल तथा दवाओं के दाम इस कदर बढ़ गये हैं कि आम आदमी इससे कराह उठा है। मूल्यवृद्धि का एक प्रमुख कारण बार-बार बढ़ाई जा रही पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें हैं जिन पर उत्तर प्रदेश की सरकार अगर अपने टैक्स कम कर दे तो जनता को कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन जनता की फिक्र न केन्द्र सरकार को है और न ही राज्य सरकार को।
केन्द्र सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है। हजारों-हजार करोड़ के घोटाले सामने आ चुके हैं। संप्रग अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री स्वयं घोटालेबाजों का बचाव कर रहे हैं। अब नये खुलासे से पूरी कैबिनेट कटघरे में है और यदि सही जांच और उस पर अमल हो जाये तो इस सरकार के अधिकतर मंत्री जेल के सींखचों के पीछे होंगे। मुख्य विपक्षी दल भाजपा, जिसे अमरीकी साम्राज्यवाद और कार्पोरेट मीडिया विकल्प के तौर पर पेश कर रहा है, के देश में तमाम नेता और कई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं लेकिन भाजपा बड़ी बेशर्मी के साथ अपने को भ्रष्टाचारमुक्त बताने को तमाम तरह के नाटक कर रही है।
उत्तर प्रदेश में घपले-घोटालों के चलते कई मंत्रीगण सत्ता से हाथ धो बैठे हैं और कई अन्य अभी घोटालों की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पहले मंत्री, विधायकों एवं अफसरों से धन वसूली करवाती हैं और जब उनके भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हो जाता है तो अपनी छवि बनाने को उनको हटाने का नाटक करती हैं। शासन-प्रशासन में ऊपर से नीचे तक फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के चलते जनता तबाह और बर्बाद हो रही है।
केन्द्र और प्रदेश दोनों की सरकारें किसानों को हर तरह से बर्बाद करने पर अमादा हैं। उनकी उपजाऊ जमीनों का बड़े पैमाने पर अधिग्रहण जारी है। किसान जगह-जगह इसका विरोध कर रहे हैं। उन्हें लाठी-गोली का शिकार बनाया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण कानून 1894 को आजादी के 64 साल बाद भी बदला नहीं गया। इसके अलावा किसानों की जरूरत की हर चीज की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं जबकि उनके उत्पादों की सही कीमत उन्हें मिल नहीं रही। भूमि अधिग्रहण से विस्थापित मजदूरों और दस्तकारों को भी रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। पूर्व सरकार के जंगलराज से निजात पाने को ही जनता ने इस सरकार को चुना था लेकिन आज इस सरकार के कार्यकाल में हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाओं ने सारी सीमायें तोड़ दी हैं। दलित और महिला मुख्यमंत्री के शासनकाल में सबसे ज्यादा उत्पीड़न का शिकार दलित और महिलायें हो रहे हैं। शासक दल के विधायक, मंत्री तथा अन्य ओहदेदार जो अपराधिक और सामंती पृष्ठभूमि से आते हैं, इन अपराधों को सरेआम अंजाम दे रहे हैं। बसपा की सोशल इंजीनियरिंग की नीति इस परिस्थिति के लिये जिम्मेदार हैं।
सरकार निजी क्षेत्र में शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे रही है। पढ़ाई इस कदर महंगी हो गयी है कि गरीब और आम आदमी बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज ले रहा है या जमीन-जेवर-जायदाद बेच रहा है। बेरोजगारी के चलते तमाम नौजवान हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सरकारी विभागों में तमाम रिक्तियां हैं जो भरी नहीं जा रहीं। मनरेगा और विकास योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार है। छात्र-नौजवानों में हर तरह की लूट और शोषण के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है।
वामपंथी दल सभी वामपंथी एवं जनवादी ताकतों, आम जनता, छात्रों, नौजवानों एवं बुद्धिजीवियों से अपील करते हैं कि वे इस सामूहिक अनशन के भागीदार बनें और वाम दलों के आन्दोलन को मजबूती प्रदान करें।
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव, भाकपा    
(डा. एस.पी. कश्यप)
राज्य सचिव, माकपा   
 (राम किशोर)
प्रदेश अध्यक्ष, एआईएफबी   
 (संतोष गुप्ता)
राज्य सचिव, आरएसपी

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