भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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मंगलवार, 6 अगस्त 2013

घटता रोजगार बढ़ती बेरोजगारी

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 72,000 पदों के लिए 58,00,0000 आवेदन प्राप्त हुए तो पश्चिम बंगाल में 35,000 पदों के लिए 54,50,000 आवेदन प्राप्त हुए। एक पद के लिए उत्तर प्रदेश में 80 तो पश्चिम बंगाल में 156 उम्मीदवार का औसत है। ऐसी ही हालत पूरे देश में है। केवल इन दो राज्यों में जितने लोगों ने आवेदन किया है, उनकी संख्या सिंगापुर की कुल आबादी की दो गुना है। पता नहीं कितने पिताओं के दर्शन का दुर्भाग्य मुझे प्राप्त हुआ जो यह कहने के लिए आये थे कि वे खेत बेच कर अपने पुत्र या पुत्री की नौकरी के लिए कितने लाख देने को लालयित हैं। बाजार लगा हुआ है जहां खरीददार ज्यादा और माल (नौकरियां) कम हैं। काबिलियत कोई मायने नहीं रखती।
देश में शिक्षित बेरोजगार युवकों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों का सन्देश यह है कि आप जितने शिक्षित होंगे, बेरोजगारी की संभावनायें उतनी ही ज्यादा प्रबल हो जायेंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के शहरी इलाकों में अशिक्षित बेरोजगार केवल 1.3 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में केवल 1.1 प्रतिशत हैं। माध्यमिक स्तर की पढ़ाई करने वाले 4.4 प्रतिशत शहरों में बेरोजगार हैं तो गांवों में 5.4 प्रतिशत। शहरी इलाकों में स्नातक बेरोजगारों की संख्या 8.4 प्रतिशत है तो गांवों में 11 प्रतिशत जबकि परास्नातक बेरोजगारों की संख्या शहरों में 7.7 प्रतिशत है तो गांवों में 13.9 प्रतिशत।
हाल में रोजगार संबंधी समाधान सुझाने वाली एक कंपनी एस्पारिंग माइंड्स ने करीब 6000 स्नातकों पर कराये गये अध्ययन में यह पाया कि 53 प्रतिशत युवक ही किसी नौकरी के काबिल हैं क्योंकि बाकी की अंग्रेजी काफी कमजोर है। आजादी के इतने सालों बाद भी देश में नौकरी पाने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान की आवश्यकता भी बहस का एक मुद्दा है।
बेरोजगारी बढ़ने के बावजूद युवाओं में कोई गुस्सा नहीं दिखाई देता। वे सड़कों पर रोजगार मांगते दिखाई नहीं देते तो सरकार उनकी तरफ सोचे भी तो क्यों?
कुछ साल पहले की बात है कि एक चिकित्सक महोदय एक सम्मेलन में इंग्लैंड गये थे। लौट कर उन्होंने अपने सभी मरीजों को यह बताना शुरू किया कि वहां पर चिकित्सा व्यवस्था किस तरह निःशुल्क है और कैसी बेहतर सुविधायें वहां पर मौजूद हैं। वे बताया करते थे कि अगर किसी वृद्ध की तबियत खराब होती है तो वह अपने पुत्र या पुत्री के बजाय अस्पताल को फोन करता है, अस्पताल से एम्बुलेंस आकर उसे ले जाती है, उसका डाक्टरी मुआइना होता है और वह अस्पताल से बिना कुछ भी खर्च किये हुये दवाओं के साथ वापस आ जाता है। इस व्यवस्था का कारण वह यह बताते थे कि इंग्लैंड में वयस्कों की संख्या ज्यादा है और जिस किसी भी पार्टी की सरकार होती है, वह इनसे इनके इस अधिकारों को छीनने की जुर्रत इसलिए नहीं कर सकता है कि सरकार बनाना और गिराना उनके हाथ में होता है। जरा सी बात होने पर यह लोग सड़कों पर आ जाते हैं। हो सकता है कि उनकी इन बातों में कुछ अतिश्योक्ति हो लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि वहां की जनता अपने चिकित्सा के अधिकारों के प्रति जागरूक थी और उसके लिए संघर्ष करना जानती थी।
हिन्दुस्तान की आबादी का आज एक बहुत बड़ा हिस्सा युवा है और उसका अधिसंख्यक हिस्सा बेरोजगार है। यह वह हिस्सा है जो अपनी पारिवारिक आर्थिक स्थिति में कारण टॉप-10 या टॉप-20 कालेजों में दाखिला नहीं पा सकता और न ही ऐसे कालेजों की फीस भर सकता है। इसलिए उसका अंग्रेजी का ज्ञान कमजोर होता है। लेकिन यह तबका अपनी ताकत को नहीं समझता। सरकारें बनाने और सरकारें गिराने की क्षमता रखते वाला यह नौजवान अपनी ताकत को नहीं जानता। अपनी काबिलियत पर नौकरी छीनने की बात न कर अपने पिता के खेत को बेचने के ख्वाब देखता है। ‘नौकरी दो या बेरोजगारी भत्ता दो’ या ‘एक पैर रेल में एक पैर जेल में’ जैसे नारे लगाते युवाओं के हुजूम सड़कों पर नहीं दिखाई देते। शिक्षित नौजवान देश में क्रान्ति कर सकते हैं। परन्तु उन्हें क्रान्ति की चेतना से लैस करने वाले संगठन भी आज कल खामोश है। यह खामोशी समझ में नहीं आती।
बकौल भगत सिंह ऐसे नौजवानों में अगर क्रान्ति की चेतना नहीं भरी जाती तो यह प्रतिक्रियावादियों के हाथ के औजार बन जाते हैं। आइये इस खामोशी पर कुछ बहस करते हैं और कोशिश करते हैं कि इस बहस से इन नौजवानों में व्याप्त श्मशान सी खामोशी को तोड़ा जाये।
- प्रदीप तिवारी
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Sand mining banned across India; UP, Centre spat over Durga Shakti Nagpal


 The national green tribunal (NGT) on Sunday banned mining or removal of sand from river beds across the country without an environmental clearance amid the uproar over suspension of an IAS officer who had cracked down on sand mafia in Uttar Pradesh. In its order, the Tribunal noted that the loss caused to the state exchequer due to illegal sand mining may run into lakhs of crores of rupees.

The order was given on a plea alleging that such activities were going on in UP with the "wilful connivance" of its state machinery.

Widening the ambit of the plea, a bench headed by NGT chairman Justice Swatanter Kumar said its order would be applicable across the nation as the petition raised substantial environmental issues.

Initially, the bench banned illegal sand mining on the beds and banks of rivers Yamuna, Ganga, Hindon, Chambal, Gomti, among others, but later modified its order saying the issue of illegally removing sand has nationwide implications. The bench said the clearance has to be obtained from the ministry of environment and forests (MoEF) or state environment impact assessment authority (SEIAA).

"We restrain any person, company, authority to carry out any mining activity or removal of sand, from river beds anywhere in the country without obtaining environmental clearance from MoEF/SEIAA and license from the competent authorities," the bench said while issuing notices to all respondents seeking their response by August 14. The tribunal also directed all the mining officers and police officers concerned of all the states to ensure compliance of its orders, on the plea filed by the National Green Tribunal Bar Association.

The petition alleged that those who have opposed such sand mining, including field level officers, like suspended SDM Durga Shakti Nagpal, have been victimized which is also apparent from various news reports.

Nagpal, the 28-year-old SDM of Gautam Budh Nagar who led the crackdown on sand mining mafia in her district, was suspended on July 27 ostensibly for ordering demolition of a wall of a under-construction mosque allegedly without following the due process. Nagpal, who belongs to the UP cadre, was chargesheeted yesterday.

Senior advocate Raj Panjwani assisted by advocate Ritwick Dutta, appearing for the association, contended that "rampant" illegal mining and transport of lakhs of tonnes of sand is being carried on every year and is causing a loss of lakhs of crores of rupees to the state exchequer.

UP, Centre spat over Durga Sakthi Nagpal

Meanwhile, a defiant Samajwadi Party (SP) appeared heading for a confrontation with the Centre over the IAS officer's suspension issue, asserting that UP government's decision is "correct and final" and went a step further taunting it to remove all IAS officers from the state.

Firing the first salvo, SP supremo Mulayam Singh Yadav said the decision to suspend IAS officer Durga Sakthi Nagpal, who hit the spotlight for cracking down on the sand mafia, is justified.

"It is correct. It is final," he told reporters outside Parliament with a firm "no" on being asked whether the suspension order would be revoked.

Amid the brewing hostility between the SP and the Centre over the suspension issue, Prime Minister Manmohan Singh said government is in touch with the state authorities on the issue and that laid down rules will be followed.

The unrelenting stand of the ruling SP government was also voiced in Lucknow by Chief Minister Akhjilesh Yadav who made it clear that officials who make "mistakes" will be punished.

"There might be many children (sitting here) who I can say would have received a beating from their teachers and parents when they had done something wrong ... the government is also run like this, whenever any official does something wrong he is punished", Akhilesh, who has justified the suspension of Nagpal, a 2010-batch officer, said at a function.

In Delhi, SP leader Ram Gopal Yadav struck a defiant note. "If the Centre wants to intervene, it can remove all the IAS officers from Uttar Pradesh. We will run the state with our own officers," he said.

Minister of state for personnel V Narayanasamy said that under the rules, the suspended officer has the right to appeal.

"She has not approached us so far. But if she sends her appeal to us, we will send its copy to the state government and seek its response. Then we will decide the future course of action. Normally, an officer approaches the state government ... We cannot act suo moto," he said.

Nagpal, the 28-year-old SDM of Gautam Budh Nagar, who led the crackdown on sand mining mafia in her district, was suspended on July 27 ostensibly for ordering demolition of a wall of a mosque under construction allegedly without following the due process. Nagpal, who belongs to the UP cadre, was charged on Sunday.
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