भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

सोमवार, 2 दिसंबर 2013

लखनऊ—भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि कल चीनी मिल मालिकों एवं राज्य सरकारों के मध्य हुआ समझौता आधा-अधूरा है. यह मिल मालिकों के हितों का पोषक और किसान हितों पर कुठाराघात है. समझौते में केवल चीनी मिलें चलाने की बात की गई है, वह भी कागजी जान पड़ती है. पुराने अनुभव बताते हैं कि मिल मालिक दिखावे के लिए मिलें चलाते रहेंगे और किसानों को ठेंगा दिखाते रहेंगे. भाकपा को यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है और वह किसानों के हित में अपना आन्दोलन जारी रखेगी. अतएव ९दिसम्बर को जिला मुख्यालयों पर भाकपा पूरी ताकत से धरने-प्रदर्शन आयोजित करेगी. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर लगभग रु.२४०० करोड़ बकाया पड़ा है जिसके भुगतान की कोई बात इस कथित समजौते में नहीं है. साथ ही गन्ने का लागत मूल्य भी बढ़ गया है. खुद राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि रु.२३ प्रति कुंतल लागत बढ़ी है. इसीलिए भाकपा रु.३५० प्रति कुंतल गन्ना मूल्य दिए जाने की मांग कर रही है. भाकपा चाहती है कि मिलों पर समस्त बकायों के भुगतान, गन्ना मूल्य रु.३५० प्रति कुंतल करने, नयी गन्ना सप्लाई का समस्त भुगतान एक साथ करने और मिलों की पूर्ण क्षमता के अनुसार उत्पादन करने जो किसानों के सारे गन्ने की पिलाई तक जारी रहे, की एकमुश्त घोषणा राज्य सरकार करे. डॉ. गिरीश ने दाबा किया कि राजनैतिक दलों एवं किसान संगठनों के दबाव के चलते ही कल का लंगड़ा-लूला समझौता सरकार एवं मिल मालिकों के बीच हुआ है. अतएव किसान हितेषी संपूर्ण समझौता होने तक भाकपा का आन्दोलन जारी रहेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की वादा खिलाफी के कारण बुंदेलखंड के किसानों के ट्रेक्टर और जमीनें नीलाम होरहे है. ९दिस्म्बर के आन्दोलन में यह मुद्दा भी उठाया जायेगा. डॉ. गिरीश,राज्य सचिव.
»»  read more
Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य